विश्व जनसंख्या दिवस

Thu Jul 10, 2025

विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य जनसंख्या से जुड़े मुद्दों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है, जैसे:
  • जनसंख्या वृद्धि की गति
  • पारिवारिक नियोजन
  • लैंगिक समानता
  • गरीबी
  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य
  • शिक्षा का महत्व
इतिहास: विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने की थी। इसकी प्रेरणा 11 जुलाई 1987 को आई, जब विश्व की जनसंख्या 5 अरब तक पहुँची थी। इसी दिन को चिन्हित करते हुए 1989 में UNDP ने हर साल इसे मनाने का निर्णय लिया। उद्देश्य:
  • तेजी से बढ़ती जनसंख्या के प्रभावों को समझाना
  • सतत विकास और संसाधनों के संतुलन की आवश्यकता बताना
  • स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों पर ज़ोर देनाविश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य जनसंख्या से जुड़े मुद्दों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है, जैसे:
    • जनसंख्या वृद्धि की गति
    • पारिवारिक नियोजन
    • लैंगिक समानता
    • गरीबी
    • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य
    • शिक्षा का महत्व
    इतिहास: विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने की थी। इसकी प्रेरणा 11 जुलाई 1987 को आई, जब विश्व की जनसंख्या 5 अरब तक पहुँची थी। इसी दिन को चिन्हित करते हुए 1989 में UNDP ने हर साल इसे मनाने का निर्णय लिया। उद्देश्य:
    • तेजी से बढ़ती जनसंख्या के प्रभावों को समझाना
    • सतत विकास और संसाधनों के संतुलन की आवश्यकता बताना
    • स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों पर ज़ोर देनाविश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य जनसंख्या से जुड़े मुद्दों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है, जैसे:
      • जनसंख्या वृद्धि की गति
      • पारिवारिक नियोजन
      • लैंगिक समानता
      • गरीबी
      • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य
      • शिक्षा का महत्व
      इतिहास: विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने की थी। इसकी प्रेरणा 11 जुलाई 1987 को आई, जब विश्व की जनसंख्या 5 अरब तक पहुँची थी। इसी दिन को चिन्हित करते हुए 1989 में UNDP ने हर साल इसे मनाने का निर्णय लिया। उद्देश्य:
      • तेजी से बढ़ती जनसंख्या के प्रभावों को समझाना
      • सतत विकास और संसाधनों के संतुलन की आवश्यकता बताना
      • स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों पर ज़ोर देना


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